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आज के दिन में भारत का एक गांव कैसा दिखता है ? शहर और गांव के बीच कितना फर्क है?

Barehta
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Barehta/ जानकारी 


वर्तमान भारत का गांव आज से लगभग 15–18 वर्ष के गांव से काफी आगे निकल गया है। आज के गांव की स्थिति को समझने के लिए उदाहरण के रूप में हम अपने गांव को चुनते हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर से 28 किलोमीटर दूर बसे हमारे छोटे से गांव की तुलना हम आज से 18 वर्ष पहले के हमारे गांव से करें तो निम्नलिखित बदलाव देखने को मिलेंगे-

पहले गांव में खेती के लिए बैल महत्वपूर्ण थे, ट्रैक्टर इक्का दुक्का थे। आज हमारे गांव में बैल बहुत कम हैं जबकि ट्रैक्टर बहुतायत में हैं।
पहले गांव में शाम के वक़्त लोग किसी एक जगह बैठक करते थे और देश समाज पर चर्चा करते थे, रेडियो पर खबरें, चौपाल, विविध भारती आदि सुनते थे। आज लोग शाम के वक़्त बाजार जाना पसंद करते हैं। बैठकें अब भी होती हैं पर उनमें अब सिर्फ बुजुर्ग ही शामिल होते हैं। नवयुवक मोबाइल, सिनेमा आदि में बिजी होते हैं।
पहले लोगों के आवागमन का मुख्य साधन साईकल थी। अब मोटरसाइकिल है।
पहले लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। अब लोग शिक्षक, व्यापार, सरकारी नौकरी, प्राइवेट नौकरी, स्वरोजगार आदि से जुड़ गए हैं।
पहले भी सामाजिक समरसता थी और आज भी है। बस समयाभाव की एक पतली रेखा खिंच गयी है।
पहले एक छप्पर उठाने के लिए पूरे गांव के लोग जुटते थे। अब छप्पर की जगह पक्के मकान ने ले ली।
पहले शहर जाने के लिए बस 3 किलोमीटर दूर से मिलती थी। अब गांव से ही कई बस और ऑटो रिक्शा शहर जाने के लिए मिलते हैं।
पहले लोग खुले में शौच जाते थे। अब शौचालय में जाते हैं।
पहले गांव में सिर्फ एक ईंट भट्ठा था। अब इनकी संख्या 4–5 है।
पहले गांव में स्कूल इक्का दुक्का थे। अब बहुतायत में है। अब तो एक महाविद्यालय भी शुरू हो गया है।
पहले जलेबी खाने 5 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। अब एक से बढ़कर एक मिठाई की दुकान खुल गई हैं।
पहले गांव की बाजार में बहुत कम दुकानें थीं। अब हमारे गांव का बाजार बहुत बड़ा हो गया है।
पहले नवयुवक गांव में ही रहते, खेती करते, किसी विवाह समारोह की तैयारी में जिम्मेदारी से हिस्सा लेते और गांव की शान थे। अब रोजगार की तलाश में उनका पलायन दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों की तरफ हो गया है। आज शायद ही ऐसा कोई घर हो, जहां सभी सदस्य गांव में ही रहते हों।
पहले की अपेक्षा अब बुनियादी सुविधाएं ज्यादा हो गयी हैं। सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा व्यवस्था, बैंकिंग सुविधाओं के आ जाने से गांव के लोगों का जीवन स्तर बेहतर हुआ है।
10 साल पहले तक मोबाइल नेटवर्क भी बहुत मुश्किल से आता था। अब ज्यादातर लोग इंटरनेट चलाते और वीडियो कॉल करते हैं।
पहले गांव की अर्थव्यवस्था में वस्तु विनिमय का भी स्थान हुआ करता था। अब गांव की अर्थव्यवस्था पूरी मुद्रा आधारित है।
हमारे गांव की कुछ तसवीरें-

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