बांदा। मंडल में डीएपी के बाद अब यूरिया के लिए मारामारी है। टोकन के लिए सुबह तीन बजे से लाइन लगाने के बाद भी किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है। इससे किसान गेहूं में यूरिया का छिड़काव नहीं कर पा रहा है। यूरिया न मिलने से किसानों को फसल के बर्बाद होने का डर सता रहा है। किसानों का कहना है कि समय रहते यूरिया का छिड़काव न किया गया तो फसल खराब हो जाएगी।
चित्रकूटधाम मंडल में इस वर्ष 9 लाख हेक्टेअर से अधिक क्षेत्र में रबी की बुआई की गई है। पहले किसान बुवाई के लिए डीएपी को परेशान रहा। अब गेहूं की फसल में यूरिया के छिड़काव के लिए परेशान हैं। उन्हें सहकारी समितियों में यूरिया नहीं मिल पा रही है। सहकारी समितियों में एक-एक बोरी यूरिया के लिए मारामारी मची है।
किसान सुबह से शाम तक लाइन में खड़ा रहता है। कभी-कभी बिना खाद के ही घर लौटना पड़ता है। मंडल में रबी अभियान के तहत यूरिया का लक्ष्य 49,559 मीट्रिक टन है। इसके सापेक्ष अभी तक महज 24,900 मीट्रिक टन ही यूरिया का वितरण किया गया है। मंडल के बफर गोदामों में यूरिया का महज 1670 एमटी स्टाक है।
समितियों को मांग की आधी भी यूरिया नहीं मिल पा रही है। ऐसे में ज्यादातर समितियों में यूरिया नहीं है। कुछ में है तो वह किसानों को एक या दो बोरी ही यूरिया दे रहे हैं। जब कि किसानों का कहना है कि उन्हें रकबे के हिसाब से यूरिया मिलना चाहिए।
रामगोपाल का कहना है कि पलेवा कर गेहूं की बुआई कर दी है। पौध बेहतर फैलाव लें और फल अच्छे निकलें, इसके लिए 30-30 दिन के अंतर में दो बार यूरिया का छिड़काव करना होता है। यूरिया का छिड़काव न होने से पौधे पीले पड़ जाएंगे। इसका फसल पर प्रभाव पड़ेगा।
भरोसी का कहना है कि यूरिया के लिए दो दिन से भटक रहे है। सुबह से शाम तक लाइन में लगे रहते है। बमुश्किल दो बोरी खाद ंमिल पाई है। 10 बीघे में गेहूं बोया है। पांच बोरी यूरिया की जरूरत है। तीन बोरी यूरिया के लिए फिर लाइन लगानी पडे़गी।
रबी फसल के तीन माह में लक्ष्य का 60 फीसदी यूरिया खाद का वितरण किया जा चुका है। बहुत कम किसानों को ही यूरिया की अब जरूरत है। यूरिया की एक रैक आनी है। एक-दो दिन में मुख्यालय आ जाएगी। किसानों से अपेक्षा की गई है कि वह नैनो यूरिया का प्रयोग करें। -बीरेंद्र बाबू दीक्षित, उपायुक्त सहकारी समिति, चित्रकूटधाम मंडल, बांदा।
सौजन्य - अमर उजाला